शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

नेता जी !

सच्चाई से पर्दा कीजिये, रूह तक जल जाएगी,
अब न आयें हमारे घर, आह निकल जाएगी.

आप खुश हैं बस खुश रहें, रहें हमेशा गद्दों पे,
गलती से भी गलती ना हो, नजर ना पढ जाये गड्डों पे.

हम गड्डों में जीते हैं, यही हमारा भाग्य है,
फिर भी हम ने इनको चुना, लोकतंत्र का दुर्भाग्य है.

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